1. जामा – शादी -ब्याह या युद्ध के अवसरों पर जामा पहनने का रिवाज था ।
२. घुघी – ऊन से बना वस्त्र जो सर्दी के अवसर पर पहना जाता है| मेवाड़ में पगड़ी व मारवाड़ में साफा पहनने का रिवाज है ।
३. बुगतरी – ग्रामीणों द्वारा श्वेत रंग की अंगरखी पहनना
4. आत्मसुख – अंगरखी और चोगा पर पहने जाने वाला वस्त्र, जिसे प्रायः ओढने के काम में लिया जाता है सबसे पुराना आत्मसुख सिटी पैलेस में रखा हुआ है|
5. पटका या कमरबंद – जामा या अंगरखी के ऊपरकमरबंद या पटक बंदन की प्रथा थी जिसमे तलवार या कटार लगी हटी थी
6. लहरिया – श्रावण मास में विशेष कर तीज के अवसर पर राजस्थान की स्त्रियां इसे पहनती है
7. चोगा – अंगरखी के ऊपर सम्पन वर्ग चोगा पहनता था
8. नांदना – यह आदिवासियों द्वारा पहना जाने वाला प्राचीनतम वस्त्र है
9. कटकी – आदिवासियों में अविवाहित युवतियां व बालिकाओ की ओढनी है
10. लुगड़ा – इसमे सफ़ेद जमीन पर लाल बूटे छापे होते है, आदिवासियों महिलाओ द्वारा पहना जाने वाला यह घाघरा का ही रूप है
11. तारा भांत री ओढनी – यह आदिवासियों महिलाओ द्वारा ओढ़ी जाती है
12. ढेपाड़ा – भीलो द्वारा पहनी जाने वाली तंग धोती
13. खोयतू – लंगोटिया भीलो में पुरुषो द्वारा कमर पर बाँधी जनि वाली लंगोटी
14. कछावू – लंगोटिया भीलो की महिलाओ द्वारा स्त्रियों के घुटनो तक पहना जाने वाला नीच घाघरा है यह काले व लाल रंग का होता है
15. पोमचा – इस विशेष प्रकार की ओढनी में पदम् या कमल की तरह के गोल गोल अभिप्राय बने होते है । जजसके कारण यह पोमचा कहलाता है पीला पोमचा को साधारण भाषा में केवल पीला कहा जाता है पोमचा बचे के जन्म पर शिशु की माँ के लिए उसके पीहर वाले लेकर आते है
२. घुघी – ऊन से बना वस्त्र जो सर्दी के अवसर पर पहना जाता है| मेवाड़ में पगड़ी व मारवाड़ में साफा पहनने का रिवाज है ।
३. बुगतरी – ग्रामीणों द्वारा श्वेत रंग की अंगरखी पहनना
4. आत्मसुख – अंगरखी और चोगा पर पहने जाने वाला वस्त्र, जिसे प्रायः ओढने के काम में लिया जाता है सबसे पुराना आत्मसुख सिटी पैलेस में रखा हुआ है|
5. पटका या कमरबंद – जामा या अंगरखी के ऊपरकमरबंद या पटक बंदन की प्रथा थी जिसमे तलवार या कटार लगी हटी थी
6. लहरिया – श्रावण मास में विशेष कर तीज के अवसर पर राजस्थान की स्त्रियां इसे पहनती है
7. चोगा – अंगरखी के ऊपर सम्पन वर्ग चोगा पहनता था
8. नांदना – यह आदिवासियों द्वारा पहना जाने वाला प्राचीनतम वस्त्र है
9. कटकी – आदिवासियों में अविवाहित युवतियां व बालिकाओ की ओढनी है
10. लुगड़ा – इसमे सफ़ेद जमीन पर लाल बूटे छापे होते है, आदिवासियों महिलाओ द्वारा पहना जाने वाला यह घाघरा का ही रूप है
11. तारा भांत री ओढनी – यह आदिवासियों महिलाओ द्वारा ओढ़ी जाती है
12. ढेपाड़ा – भीलो द्वारा पहनी जाने वाली तंग धोती
13. खोयतू – लंगोटिया भीलो में पुरुषो द्वारा कमर पर बाँधी जनि वाली लंगोटी
14. कछावू – लंगोटिया भीलो की महिलाओ द्वारा स्त्रियों के घुटनो तक पहना जाने वाला नीच घाघरा है यह काले व लाल रंग का होता है
15. पोमचा – इस विशेष प्रकार की ओढनी में पदम् या कमल की तरह के गोल गोल अभिप्राय बने होते है । जजसके कारण यह पोमचा कहलाता है पीला पोमचा को साधारण भाषा में केवल पीला कहा जाता है पोमचा बचे के जन्म पर शिशु की माँ के लिए उसके पीहर वाले लेकर आते है
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